Tuesday, May 28, 2019

सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला क्यों किया था

पूरी दुनिया में ईरान को अमरीका ने अलग-थलग कर दिया है. मध्य-पूर्व में भी ईरान को लेकर खाड़ी के देश गोलबंद हैं. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ईरान का अस्तित्व मिटाने की धमकी दे रहे हैं. वर्तमान में ईरान को लेकर जो हालात हैं उनसे ऐसा लग रहा है कि किसी भी वक़्त ईरान पर हमला हो सकता है.

ईरान इससे पहले 1980 में एक युद्ध का सामना कर चुका है. इस युद्ध में कम से कम 10 लाख ईरानी मारे गए थे. यह युद्ध था इराक़ और ईरान का. तब इराक़ी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया था और अमरीका सद्दाम के साथ था.

ईरान के साथ वर्तमान संकट को देखते हुए एक बार फिर 1980 के युद्ध को याद किया जा रहा है क्योंकि मध्य-पूर्व को युद्ध का वो संकट आज भी डराता है. आख़िर सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला क्यों किया था? इस युद्ध में जीत किसकी हुई थी.

इराक़ ने 22 सितंबर, 1980 को ईरान पर हमला किया था, जिससे दोनों देशों के बीच शुरू हुई दुश्मनी आठ साल तक चली और इस दुश्मनी ने न सिर्फ़ मध्य पूर्व क्षेत्र को अस्थिर किया बल्कि दोनों देशों का भारी नुक़सान हुआ.

आख़िरकार ये जंग 20 अगस्त, 1988 को ख़त्म हुई. उस वक़्त इराक़ के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने हमले का कारण शत अल-अरब नहर पर विवाद को बताया था, जो दोनों देशों के बीच सीमा भी निर्धारित करती थी.

लेकिन संघर्ष का असल मुद्दा क्षेत्रीय संघर्ष था. सद्दाम हुसैन को दरअसल ईरान में हुई इस्लामी क्रांति से ख़तरा महसूस हो रहा था. दरअसल 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के ज़रिए ही आयतुल्लाह ख़ुमैनी सत्ता में आए थे.

ख़ुमैनी सद्दाम हुसैन को एक ऐसा सुन्नी क्रूर शासक मानते थे, जो अपने देश के शिया समुदाय का दमन कर रहा था. आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने की अपनी इच्छा को भी नहीं छुपाया.

इसलिए सद्दाम हुसैन के लिए युद्ध का मतलब था- इससे पहले कि आयतुल्लाह ख़ुमैनी की सत्ता ख़ुद उनके लिए ख़तरा बन जाए, ख़ुमैनी की सत्ता को पहले ही उखाड़ फेंकना.

आयतुल्लाह ख़ुमैनी की इस्लामी हुकूमत भले ही यहूदियों का विरोध करती थी, लेकिन इस लड़ाई में इसराइल ने ईरान का साथ दिया था. ईरान और इराक़ के बीच जैसे-जैसे लड़ाई तेज़ हुई, इसराइल ने बग़दाद के पास एक न्यूक्लियर रिएक्टर पर 7 जून, 1981 को बमबारी कर दी.

सत्तर के दशक में इराक़ ने फ्रांस से एक ऐसा परमाणु रिएक्टर ख़रीदने की कोशिश की थी जिससे मिलते-जुलते एक रिएक्टर का इस्तेमाल फ्रांस ने अपने हथियार कार्यक्रम में किया था. फ्रांस ने इससे इनकार कर दिया लेकिन बगदाद के पास तुवाइथा न्यूक्लियर सेंटर में 40 मेगावॉट का एक रिसर्च रिएक्टर बनाने में मदद देने पर रज़ामंदी दी थी.

इसराइल का कहना था कि इराक़ परमाणु हथियार विकसित कर रहा है और वो उस पर कभी भी हमला कर सकता है. इस आशंका को देखते हुए तत्कालीन इसराइली प्रधानमंत्री मेनाकेम बेजिन ने ओसिरक रिएक्टर पर बमबारी करने के लिए कई एफ़-16 विमान भेज दिए.

बमबारी शुरू होने के कुछ ही लम्हों के भीतर ये सेंटर मलबे में बदल गया. उस वक्त इसराइल की सेना ने ये कहा था कि बमबारी से इराक़ का परमाणु जिन वापस बोतल में बंद हो गया. लेकिन इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई. यहां तक कि अमरीका ने भी इसराइल की आलोचना वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन किया था.

सद्दाम हुसैन का मानना था कि ईरान उस वक़्त अस्थिरता के दौर से गुज़र रहा था और इराक़ी सेनाओं को जीत हासिल करने में ज़्यादा देर नहीं लगेगी. लेकिन वस्तुस्थिति का यह अंदाज़ा लगाना दरअसल एक ग़लती थी.

साल 1982 तक आते-आते ईरानी सेनाओं ने उस क्षेत्र पर फिर से अपने क़ब्ज़े में ले लिया था जिसे इराक़ी सेनाओं ने क़ब्ज़ा लिया था. इतना ही नहीं ईरानी सेनाएं इराक़ के काफ़ी अंदर तक घुस गई थीं.

तब इराक़ ने युद्ध विराम की पेशकश की थी जिसे ईरान ने नामंज़ूर कर दिया था. इस तरह युद्ध शुरू तो इराक़ ने किया था लेकिन इसे लंबा खींचने का फ़ैसला ईरानी नेता आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने किया.

इस वक़्त तक आते-आते यह युद्ध एक तरह से नाक की लड़ाई में तब्दील हो चुका था और दोनों ही पक्ष इस युद्ध की मानवीय क़ीमत की अनदेखी कर रहे थे.

ख़ुमैनी ने हज़ारों ईरानी युवकों को 'मानव हमलों' की रणनीति के तहत लड़ाई के मैदान में भेजा जो मारे भी गए. सद्दाम हुसैन ने ईरानियों के ख़िलाफ़ रसायनिक हथियारों का प्रयोग किया.

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की थी कि इराक़ ने ईरान के ख़िलाफ़ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करके जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.

ये बात ज़ाहिर हो चुकी थी कि इराक़ 1983 से मस्टर्ड गैस और साल 1985 से नर्व गैस ताबुन का इस्तेमाल कर रहा है. ताबुन वो चीज़ थी जो मिनटों में कई लोगों की जान ले सकती थी.

साल 1988 में इराक़ ने अपनी ही ज़मीन पर मुल्क के उत्तरी इलाक़े में कुर्दों के ख़िलाफ़ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. इस घटना के बाद कुर्द छापामार लड़ाके ईरान की हमलावर फौज के साथ जुड़ने लगे थे.

16 मार्च, 1988 को इराक़ ने कुर्द बहुल शहर हलब्ज़ा पर मस्टर्ड गैस सरीन और ताबुन वाले रासायनिक हथियारों से बमबारी की. इस हमले में हज़ारों आम लोग मारे गए.

इराक़ के अनफाल हमले में भी रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. कहा जाता है कि इस हमले में कुर्द बहुल इलाकों से 50,000 से 100,000 लोग या तो मारे गए थे या फिर ग़ायब हो गए. लड़ाई में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के कारण सुरक्षा परिषद ने इराक़ की आलोचना 1986 में की थी लेकिन इसके बावजूद अमरीका और दूसरे पश्चिमी देश युद्ध खत्म होने तक बगदाद का साथ देते रहे.

Tuesday, May 21, 2019

चीन में उत्तर कोरियाई लड़कियों की 'सेक्स मंडी' का दावा

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हर साल उत्तर कोरिया की हज़ारों महिलाओं और लड़कियों को चीन में देह व्यापार में झोंका जाता है.

लंदन स्थित 'कोरिया फ्यूचर इनिशिएटिव' की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरियाई महिलाओं और लड़कियों को अक्सर अग़वा किया जाता है और वेश्या के रूप में बेचा जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें चीनी मर्दों के साथ शादी करने के लिए भी विवश किया जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक चीन में आपराधिक संगठन 'सेक्स ट्रेड' में सक्रिय हैं और ये ट्रेड सालाना दस करोड़ डॉलर का है.

उत्तर कोरिया की महिलाएं सेक्स ट्रेड में कई बार इस वजह से भी फंसकर रह जाती हैं, क्योंकि चीन यदि उन्हें वापस भेजता है तो वहां भी उन्हें प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट के लेखक योन ही-सोन का कहना है, ''लड़कियों को महज़ 30 चाइनीज़ युआन के लिए वेश्या बना दिया जाता है. 1000 युआन के बदले उन्हें बीवी बनाकर बेच दिया जाता है.''

रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरियाई महिलाओं को उत्तर-पूर्वी चीनी ज़िलों में वेश्यालयों में ग़ुलाम बनाकर रखा जाता है, जहां बड़ी आबादी प्रवासी कामगारों की है.

यौन उत्पीड़न का शिकार बनने वाली लड़कियों की उम्र कई बार आठ-नौ साल होती है. उन्हें वेबकैम के ज़रिए कहीं दूर बैठे ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है. इनमें से अधिकतर ग्राहक दक्षिण कोरिया के बताए गए हैं.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू 21 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ चुनाव आयोग जाएंगे. इस दौरान वो मांग रखेंगे कि ईवीएम को वीवीपैट की पर्चियों से बड़े पैमाने पर मिलाया जाए.

इस मुलाक़ात में कांग्रेस के अहमद पटेल व ग़ुलाम नबी आज़ाद, तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओ ब्रायन, एनसीपी के शरद पवार, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा और बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा सहित कई नेता शामिल हो सकते हैं.

एक्ज़िट पोल के पूर्वानुमानों से उत्साहित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं की बैठक बुलाई गई है.

यह बैठक 23 मई को लोक सभा चुनाव परिणाम सामने आने से दो दिन पहले होने जा रही है, ये बैठक काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

रविवार को जारी एग्ज़िट पोल में केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार की वापसी के संकेत मिलने के बाद शेयर बाज़ार में काफ़ी उछाल देखा गया.

सेंसेक्स में 1,200 अंकों से अधिक की तेज़ी दर्ज की गई है. अपराह्न 2.31 बजे सेंसेक्स 1303.53 अंक (3.44%) उछलकर 39,234.30 पर कारोबार कर रहा था. वहीं, निफ्टी 377.75 अंकों (3.31%) की तेज़ी के साथ 11,784.90 पर कारोबार कर रहा था.

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हर साल उत्तर कोरिया की हज़ारों महिलाओं और लड़कियों को चीन में देह व्यापार में झोंका जाता है.

लंदन स्थित 'कोरिया फ्यूचर इनिशिएटिव' की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरियाई महिलाओं और लड़कियों को अक्सर अग़वा किया जाता है और वेश्या के रूप में बेचा जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें चीनी मर्दों के साथ शादी करने के लिए भी विवश किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक़ चीन में आपराधिक संगठन 'सेक्स ट्रेड' में सक्रिय हैं और ये कारोबार सालाना दस करोड़ डॉलर का है.

Thursday, May 9, 2019

Принц Уильям поприветствовал брата в клубе "неспящих родителей"

Герцог Кембриджский сказал, что рад видеть в клубе "неспящих родителей" своего брата, принца Гарри, у которого накануне в понедельник родился первенец.

Принц Уильям сказал, что он невероятно счастлив за принца Гарри и Меган, у которых в 05:26 по Лондону в понедельник родился сын.

По словам принца Уильяма, он с нетерпением ждет встречи с молодыми родителями и знакомства с новорожденным племянником.

"Я желаю ему [принцу Гарри] всего самого лучшего и надеюсь, что уже в ближайшие дни, когда шум утихнет, они смогут насладиться обществом новорожденного и всеми радостями, которые связаны с появлением ребенка", - сказал принц Уильям.

Герцогиня Кембриджская, в свою очередь, заметила, что ребенок принца Гарри и Меган появился в особенное время.

"Это такое особенное время - у Луи и Шарлотты как раз в это время дни рождения. И это прекрасное время года для рождения ребенка. Весна в воздухе", - сказала Кейт.

У старшего брата Гарри принца Уильяма и герцогини Кембриджской Кейт трое детей - пятилетний принц Джордж, принцесса Шарлотта, которой исполнилось четыре, и принц Луи, родившийся в апреле прошлого года.

Отец принца Гарри, принц Чарльз сказал, что очень рад появлению на свет внука.

Сейчас принц Чарльз находится с официальным визитом в Германии, где принимает поздравления и подарки в честь рождения внука.

Прибыв в Берлин вместе со своей супругой, герцогиней Корнуольской, принц Чарльз сказал: "Мы не могли не быть в восторге от этой новости. И мы с нетерпением ждем встречи с новорожденным".

Новорожденный станет седьмым в очереди на престол. Для королевы Елизаветы II первенец герцогини Сассекской Меган и принца Гарри - восьмой правнук.

Monday, May 6, 2019

吃榴梿过不了醉驾测试引发中国网民热议

中国江苏省一名男子被警员截查时,因为吃了榴梿而通过不了呼气酒精测试,但随后对他进行的血液测试证实这名男子没有醉驾。

中国“梨视频”发布相信是警员随身镜头拍摄的片段,事发在4月17日,这名司机通过不了测试时表示,“我吃了榴梿”。警员当时不相信,反问他:“喝了多少酒?榴梿还能有酒味吗?”

结果,这名司机去进行血液测试,证实他身体的酒精含量是零,民警撤销对他行政强制措施并发还驾驶证。

当地警员自己亲身实验,吃了榴梿后立刻检测,发现呼气酒精测试录得的酒精含量达36毫克/100毫升,超过标准的20毫克/100毫升,但过了3分钟以后,水平就会回落至零。

事实上,进食一些非酒精的食物有机会令口腔短期内产生一定的酒精浓度,但不代表你喝醉酒。一般十几分钟后,酒精便会散去,但如果此前用呼气测试,就可能会有不准确的结果。“梨视频”说,荔枝、蛋黄派、漱口水也都有一定的酒精成分。

今年1月,澳大利亚一名货车司机尝试吃面包后做测试,同样在呼气测试中酒精浓度超标,他的视频在网络上引起广泛关注。

榴梿释出的气味并非每个人都能接受,澳大利亚墨尔本大学去年试过因为这种气味,而要疏散校内超过500名师生,一架印尼的客机去年也因为榴梿味道而要延误起飞。

根据2017年一份有关榴梿的学术研究,榴梿产生的气味主要成份来自一种甲基物,这很有可能是令口腔有酒精成份的原因。

事件引发中国网民热议。有人要求警方道歉和改善酒精测试的方式,因为这令无辜的人浪费时间,而且用针筒抽血去释除疑虑,会把他们吓坏。

但亦有人质疑,这个司机是否在驾驶时吃水果,可能也是没有专心驾驶。

如果司机想避免不必要的麻烦,驾驶前是否真的要吃可能会引起误会的食物,真的要三思。